ट्रेडिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें लाभ कमाने के मकसद से चीज़ों को खरीदा और बेचा जाता है। यह सिर्फ शेयर बाज़ार तक ही सीमित नहीं है, बल्कि कमोडिटी और विदेशी मुद्रा बाज़ार में भी होती है।
आसान शब्दों में ट्रेडिंग क्या है? कहें तो, ट्रेडर कम कीमत पर कुछ खरीदते हैं और उसकी कीमत बढ़ने पर उसे बेच देते हैं, जिससे उन्हें मुनाफ़ा होता है। यह एक जोखिम भरा काम हो सकता है, लेकिन सही जानकारी और रणनीति के साथ यह कमाई का एक अच्छा ज़रिया बन सकता है।
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ट्रेडिंग क्या है?
ट्रेडिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें लाभ कमाने के लिए वस्तुओं और सेवाओं की खरीद-बिक्री की जाती है। इसका मुख्य मकसद चीजों को कम दाम में खरीदना और उन्हें अधिक दाम में बेचकर मुनाफा कमाना होता है।
ट्रेडिंग का अर्थ ‘व्यापार’ होता है, जिसमें लोग बाज़ार से लाभ कमाने के लिए चीजों का आदान-प्रदान करते हैं। यह व्यापार ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से किया जा सकता है।
इस प्रक्रिया में खरीदार और विक्रेता दोनों ही अपना-अपना लाभ कमाना चाहते है।
यहाँ पर आप अच्छे से समझ गए होंगे की ट्रेडिंग क्या है? अब आगे और भी बहुत कुछ समझते है।
Traders
ट्रेडिंग करने वाले लोगों को ट्रेडर्स कहा जाता है।
शेयर मार्केट में ट्रेडिंग
शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग का मतलब है शेयरों को खरीदना और बेचना।
उदाहरण के लिए, शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग का मुख्य मकसद शेयरों को कम दाम पर खरीदकर अधिक दाम पर बेचकर मुनाफा कमाना होता है।
ट्रेडिंग सिर्फ शेयर बाज़ार तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह कमोडिटी (commodity) और विदेशी मुद्रा (forex) बाज़ार में भी की जाती है।
शेयर मार्केट में ट्रेडिंग कैसे काम करता है?
शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग, खरीदारों (buyers) और विक्रेताओं (sellers) द्वारा शेयरों की खरीद और बिक्री पर आधारित होती है।
यह डिमांड (मांग) और सप्लाई (आपूर्ति) के नियम पर काम करती है। जिस शेयर की मांग अधिक होती है, उसकी कीमत बढ़ने लगती है, और जिस शेयर की मांग कम होती है, उसकी कीमत घटने लगती है।
Trading Volume
ट्रेडिंग कैसे काम करती है, इसे समझने के लिए ट्रेडिंग वॉल्यूम को समझना ज़रूरी है।
यदि किसी शेयर में खरीदने की मात्रा (buying volume) अधिक है और बेचने की मात्रा (selling volume) कम है, तो शेयर की कीमत ऊपर जाएगी। इसके विपरीत, यदि बेचने की मात्रा अधिक है, तो शेयर की कीमत नीचे जाएगी।
किसी भी शेयर में ट्रेडिंग तब तक नहीं हो सकती, जब तक बिड (bid) और आस्क (ask) की कीमतें मेल न खाएं। यानी, जब तक खरीदार, विक्रेता द्वारा तय की गई कीमत पर शेयर खरीदने को तैयार न हो जाए, तब तक उस शेयर में ट्रेडिंग नहीं हो सकती।
Bid Price
बिड प्राइस (Bid price) का मतलब है कि खरीदार किस कीमत पर शेयर खरीदने के लिए तैयार है।
ASK Price
आस्क प्राइस (Ask price) का मतलब है कि विक्रेता किस कीमत पर शेयर बेचने के लिए तैयार है।
ट्रेडिंग कैसे करें?
शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग की शुरुआत करने के लिए इन बातों का ध्यान रखें:
ट्रेडिंग शुरू करने की प्रक्रिया
- सबसे पहले, किसी ब्रोकर के पास डिमैट अकाउंट खुलवाएं।
- इसके बाद, अपने ट्रेडिंग अकाउंट में पैसा डालें।
- फिर, आप अपनी पसंद के किसी भी शेयर में ट्रेडिंग करना शुरू कर सकते हैं।
ट्रेडिंग करते समय ध्यान रखने योग्य बातें
माइंडसेट पर नियंत्रण:- ट्रेडिंग करते समय अपने माइंडसेट पर नियंत्रण रखना बहुत ज़रूरी है। कभी भी बहुत ज़्यादा खुश या दुखी होकर ट्रेडिंग न करें।
नियम तय करें:- पहले ही तय कर लें कि आपको दिन में कितनी बार ट्रेड करना है और आप अधिकतम कितना नुकसान (loss) उठा सकते हैं।
सीखना ज़रूरी है:- बिना सीखे ट्रेडिंग करने वाले कभी सफल ट्रेडर नहीं बन सकते। सफल होने के लिए पहले इसे सीखें।
जोखिम प्रबंधन (Risk Management):-
- कभी भी कर्ज़ (loan) लेकर ट्रेडिंग न करें, क्योंकि यह आपको बड़ी मुश्किल में डाल सकता है।
- अपना पूरा पैसा एक साथ किसी एक शेयर में न लगाएं।
- शुरुआत में अगर आप जोखिम नहीं लेना चाहते, तो आप पेपर ट्रेडिंग से शुरुआत कर सकते है।
लालच से बचें:- ज़्यादा लालच न करें। पहले से ही तय कर लें कि 10% या 20% लाभ (profit) होने पर आप बाहर निकल जाएंगे।
सही समय पर प्रवेश और निकासी:- पहले ही तय कर लें कि आपको किस कीमत पर शेयर खरीदना (entry) है और किस कीमत पर बेचना (exit) है।
अनुसंधान (Research) करें:-
- सिर्फ किसी शेयर का दाम बढ़ता हुआ देखकर उसे न खरीदें, हो सकता है कि उसे जानबूझकर बढ़ाया जा रहा हो।
- ट्रेडिंग शुरू करने से पहले, ब्रोकरेज और अन्य लगने वाले शुल्कों (charges) की जानकारी ज़रूर ले लें।
ट्रेडिंग के प्रकार
शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग को मुख्य रूप से दो प्रकारों में बाँटा जा सकता है:-
- शॉर्ट-टर्म ट्रेडिंग (Short-term Trading):- इसका उद्देश्य कम समय में लाभ कमाना होता है। इसके अंतर्गत इंट्राडे ट्रेडिंग (Intraday Trading), स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) और ऑप्शन ट्रेडिंग (Option Trading) शामिल हैं।
- लॉन्ग-टर्म ट्रेडिंग (Long-term Trading):- इसमें निवेशक लम्बे समय के लिए शेयर अपने पास रखते हैं, ताकि उन्हें भविष्य में अच्छा मुनाफा मिल सके।
इंट्राडे ट्रेडिंग (Intraday Trading)
इंट्राडे ट्रेडिंग वह प्रक्रिया है जिसमें शेयरों को एक ही दिन के भीतर खरीदा और बेचा जाता है। इसका मतलब है कि आपको बाज़ार बंद होने से पहले (यानी 3:30 बजे से पहले) अपनी पोजीशन को बेचना होता है। यदि आप ऐसा नहीं करते हैं, तो आपका ब्रोकर अपने आप ही आपकी पोजीशन को ‘स्क्वायर ऑफ’ कर देता है।
इंट्राडे ट्रेडिंग की मुख्य बातें
चार्ट और तकनीकी विश्लेषण (Technical Analysis):- इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए चार्ट पैटर्न, सपोर्ट-रेसिस्टेंस, टारगेट, स्टॉप-लॉस, और मूविंग एवरेज की अच्छी समझ होना ज़रूरी है। ट्रेडर अक्सर 1 मिनट, 5 मिनट या 15 मिनट के चार्ट का उपयोग करते हैं।
फंडामेंटल की ज़रूरत नहीं:- इंट्राडे ट्रेडिंग में कंपनियों के फंडामेंटल्स (बुनियादी जानकारी) पर रिसर्च करने की ज़रूरत नहीं होती। आप किसी भी शेयर में ट्रेड कर सकते हैं, बस उसमें अच्छी वॉल्यूम (खरीद-बिक्री की मात्रा) होनी चाहिए।
मार्जिन और जोखिम:- इंट्राडे ट्रेडिंग में आपको अच्छी मार्जिन सुविधा मिलती है, लेकिन इसमें जोखिम भी ज़्यादा होता है। ट्रेडर विभिन्न ट्रेडिंग सेटअप्स का उपयोग करके लाभ कमाने की कोशिश करते हैं।
इंट्राडे ट्रेडर का मुख्य उद्देश्य बाज़ार की चाल का अनुमान लगाकर, कम समय में मुनाफा कमाना होता है।
स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading)
स्विंग ट्रेडिंग वह तरीका है जिसमें शेयरों को कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ्तों तक अपने पास रखकर खरीदा और बेचा जाता है। यह इंट्राडे ट्रेडिंग से ज़्यादा सुरक्षित मानी जाती है, क्योंकि इसमें उसी दिन शेयर बेचना ज़रूरी नहीं होता।
स्विंग ट्रेडिंग में, आप कुछ मिनटों या घंटों के बजाय कुछ दिनों या हफ्तों में मुनाफ़ा कमाना चाहते हैं। इसलिए, इसमें उन कंपनियों को चुनना बेहतर होता है जो फंडामेंटली मज़बूत (fundamentally stable) हों। इससे जोखिम कम हो जाता है और आपको मुनाफ़ा कमाने का बेहतर मौका मिलता है।
ऑप्शन ट्रेडिंग (Option Trading)
ऑप्शन ट्रेडिंग में कॉल (Call) और पुट (Put) ऑप्शंस को खरीदा और बेचा जाता है। यह ट्रेडिंग का सबसे जोखिम भरा प्रकार माना जाता है। इसमें कुछ ही मिनटों में लाखों का मुनाफा या नुकसान हो सकता है, क्योंकि ऑप्शंस के प्रीमियम की कीमतें बहुत तेज़ी से ऊपर-नीचे होती हैं।
ऑप्शन ट्रेडिंग शुरू करने के लिए आपको बहुत कम पैसों की ज़रूरत होती है, कभी-कभी तो ₹100 से भी शुरुआत की जा सकती है। हालाँकि, इसमें भारी जोखिम के कारण, हमेशा स्टॉप लॉस (stop loss) का उपयोग करने की सलाह दी जाती है ताकि आपका बड़ा नुकसान होने से बच सके।
डिलीवरी ट्रेडिंग
डिलीवरी ट्रेडिंग में, आप शेयर को डिलीवरी में खरीदते हैं, जिसका मतलब है कि शेयर आपके डीमैट खाते में आ जाते हैं। आप इन शेयरों को अपनी इच्छा के अनुसार कितने भी समय (एक दिन से लेकर कई सालों तक) के लिए रख सकते है।
पोजीशनल ट्रेडिंग (Positional Trading)
पोजीशनल ट्रेडिंग में, आप किसी खास शेयर में शॉर्ट टर्म या लॉन्ग टर्म के लिए अपनी पोजीशन को होल्ड करते हैं। इसका मतलब है कि आप शेयरों को कुछ हफ्तों से लेकर कई महीनों तक अपने पास रख सकते है।
स्कैल्पिंग ट्रेडिंग (Scalping Trading)
स्कैल्पिंग ट्रेडिंग एक ऐसी ट्रेडिंग रणनीति है जिसमें बहुत कम समय में, आमतौर पर कुछ ही मिनटों के भीतर, शेयरों को खरीदकर बेचा जाता है ताकि छोटा मुनाफा कमाया जा सके। यह शॉर्ट-टर्म ट्रेडिंग का ही एक हिस्सा है।
स्कैल्पिंग, इंट्राडे ट्रेडिंग से थोड़ी अलग है क्योंकि इसमें ट्रेडर शेयर की कीमत के बढ़ने का इंतज़ार नहीं करते, बल्कि छोटे-छोटे मुनाफे को तुरंत बुक कर लेते हैं। इसमें तेज़ गति से निर्णय लेने की ज़रूरत होती है।
एल्गो ट्रेडिंग (Algo Trading)
एल्गो ट्रेडिंग में लोगों की ज़रूरत नहीं होती है। यह एक ऐसी ट्रेडिंग है जिसमें कुछ एल्गोरिदम्स (algorithms) और सॉफ्टवेयर की मदद से कंप्यूटर अपने आप ही ट्रेडिंग करता है। इसमें तय किए गए नियमों के आधार पर शेयरों को ख़रीदा और बेचा जाता है।
मार्जिन ट्रेडिंग (Margin Trading)
मार्जिन ट्रेडिंग को लीवरेज ट्रेडिंग (Leverage Trading) भी कहा जाता है। इसमें आप अपने ब्रोकर से कुछ हिस्सा उधार लेकर किसी ख़ास स्टॉक में ट्रेडिंग करते हैं।
इसमें ब्रोकर आपको 20% से लेकर 80% तक का मार्जिन दे सकता है। इसका मतलब है कि आप अपनी पूंजी से ज़्यादा कीमत के शेयर खरीद सकते हैं, जिससे मुनाफे की संभावना बढ़ जाती है, लेकिन साथ ही नुकसान का जोखिम भी ज़्यादा होता है।
मुहूर्त ट्रेडिंग (Muhurat Trading)
मुहूर्त ट्रेडिंग किसी शुभ मुहूर्त (शुभ समय) पर की जाने वाली ट्रेडिंग को कहते हैं। यह ज़्यादातर दिवाली के मौके पर होती है, जिसमें एक निश्चित और शुभ समय के दौरान शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग की जाती है।
Conclusion (ट्रेडिंग क्या है?)
संक्षेप में, ट्रेडिंग क्या है? यह समझे तो ट्रेडिंग एक व्यापारिक प्रक्रिया है जिसमें लाभ कमाने के उद्देश्य से वस्तुओं और सेवाओं की खरीद-बिक्री की जाती है। यह प्रक्रिया शेयर बाज़ार, कमोडिटी और फॉरेक्स जैसे विभिन्न बाज़ारों में होती है।
ट्रेडिंग में सफलता के लिए बाज़ार की मांग और आपूर्ति के नियमों को समझना, सही समय पर निर्णय लेना और जोखिम को नियंत्रित करना बेहद ज़रूरी है।
यह केवल मुनाफ़े के बारे में नहीं है, बल्कि यह सीखने, योजना बनाने और अनुशासन के साथ काम करने की प्रक्रिया भी है। चाहे आप इंट्राडे ट्रेडिंग करें या लॉन्ग-टर्म निवेश, सही ज्ञान और तैयारी ही आपको एक सफल ट्रेडर बना सकती है।
शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग कैसे काम करती है?
शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग, खरीदारों (buyers) और विक्रेताओं (sellers) द्वारा शेयरों की खरीद-बिक्री पर आधारित होती है। यह डिमांड (मांग) और सप्लाई (आपूर्ति) के नियम पर काम करती है।
किसी भी शेयर में ट्रेडिंग तब तक नहीं होती जब तक बिड प्राइस (Bid Price) और आस्क प्राइस (Ask Price) मेल न खाएं। बिड प्राइस वह कीमत है जिस पर खरीदार खरीदना चाहता है, और आस्क प्राइस वह कीमत है जिस पर विक्रेता बेचना चाहता है।
ट्रेडिंग की शुरुआत कैसे करें?
ट्रेडिंग शुरू करने के लिए आपको इन चरणों का पालन करना होगा:-
>डिमैट अकाउंट खुलवाएं: सबसे पहले किसी ब्रोकर के पास अपना डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाएं।
>पैसा जमा करें: अपने ट्रेडिंग अकाउंट में पैसे जमा करें।
>ट्रेडिंग शुरू करें: अब आप अपनी पसंद के किसी भी शेयर में ट्रेडिंग शुरू कर सकते हैं।
ट्रेडिंग करते समय, जोखिम प्रबंधन (Risk Management) का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है। कभी भी कर्ज़ लेकर या पूरा पैसा एक ही बार में न लगाएं। लालच से बचें और पहले से ही तय कर लें कि आपको कब एंट्री लेनी है और कब एग्ज़िट करना है।
ट्रेडिंग के मुख्य प्रकार
इंट्राडे ट्रेडिंग: एक ही दिन में शेयर खरीदकर बेचना।
स्विंग ट्रेडिंग: कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ़्तों तक शेयर होल्ड करना।
ऑप्शन ट्रेडिंग: कॉल और पुट ऑप्शंस को खरीदना और बेचना, जो बहुत जोखिम भरा होता है।
डिलीवरी ट्रेडिंग: शेयर खरीदकर लंबे समय के लिए अपने डीमैट खाते में रखना।
एल्गो ट्रेडिंग: कंप्यूटर द्वारा सॉफ्टवेयर की मदद से ऑटोमेटिक ट्रेडिंग करना।