शेयर मार्केट कैसे चलता है? – पूरी जानकारी

यहाँ “शेयर मार्केट कैसे चलता है” विषय पर एक परिचय दिया गया है:

शेयर मार्केट, जिसे स्टॉक मार्केट भी कहते हैं, एक ऐसा बाज़ार है जहाँ छोटी-बड़ी कंपनियाँ आम लोगों से पैसा जुटाकर अपने कारोबार को बढ़ाती हैं। बदले में, कंपनियाँ निवेशकों को अपनी हिस्सेदारी यानी शेयर देती हैं। यह पूरा बाज़ार मांग और पूर्ति (Demand and Supply) के सिद्धांत पर काम करता है।

यह एक ऐसा मंच है जहाँ आप भारत की सबसे बड़ी कंपनियों में से कुछ के हिस्सेदार बन सकते हैं। लेकिन, इसमें निवेश करने से पहले यह समझना ज़रूरी है कि शेयर बाज़ार कैसे काम करता है। 

बिना सही जानकारी के निवेश करने से अक्सर नुकसान होता है, इसलिए यह जानना बहुत ज़रूरी है कि शेयरों की खरीद-बिक्री कैसे होती है, बाज़ार को कौन नियंत्रित करता है (जैसे SEBI), और सेंसेक्स व निफ्टी जैसे इंडिकेटर्स क्या दर्शाते हैं।

शेयर मार्केट कैसे चलता है?

आपको पता होना चाहिए कि शेयर बाज़ार में 90% लोग सिर्फ़ इसलिए पैसा गँवाते हैं, क्योंकि वे बिना जानकारी के निवेश करते हैं।

शेयर बाज़ार, छोटी-बड़ी कंपनियों को यह मौक़ा देता है कि वे आप और हम जैसे लोगों से पैसा जुटा सकें और अपने बिज़नेस को बड़ा कर सकें। इसके बदले में, कंपनियाँ आपको अपनी हिस्सेदारी के तौर पर शेयर देती हैं।

भारत में, स्टॉक मार्केट या शेयर बाज़ार मांग और पूर्ति (Demand and Supply) के नियम पर काम करता है। इसमें निवेशक BSE (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) या NSE (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) के ज़रिए शेयरों की खरीद-बिक्री करते हैं।

आप शेयर मार्केट को एक ऐसा बाज़ार समझ सकते हैं जहाँ आप भारत की सबसे बड़ी कंपनियों के शेयर खरीदकर उनके हिस्सेदार (Shareholder) बन सकते हैं।

शेयर खरीदना और बेचना

अगर आप शेयर खरीदना चाहते हैं, तो इन आसान चरणों का पालन करें:

  • सबसे पहले, आपको किसी ब्रोकर ऐप (जैसे Upstox, Zerodha, एंजल ब्रोकिंग) पर एक डीमैट अकाउंट खुलवाना होगा। आप इसे मुफ़्त में खोल सकते हैं।
  • डीमैट अकाउंट खुलने के बाद, अपनी ब्रोकर ऐप में लॉग इन करके उसमें पैसे जमा करें।
  • अब, जिस कंपनी का शेयर आप खरीदना चाहते हैं, उसका नाम सर्च करें। उदाहरण के लिए, ‘Reliance’।
  • आपको शेयर की कीमत और ‘Buy’ और ‘Sell’ के बटन दिखाई देंगे।
  • जितने शेयर आप खरीदना चाहते हैं, वह संख्या दर्ज करें और ‘Buy’ बटन पर क्लिक करें। आपका खरीदा हुआ शेयर आपके पोर्टफोलियो में जुड़ जाएगा।

शेयर मार्केट में नुकसान होने के वजह


शेयर बाज़ार में कई लोग नुकसान उठाते हैं क्योंकि वे बिना पूरी जानकारी के निवेश करते हैं। यहाँ कुछ मुख्य वजहें बताई गई हैं:

  • बिना जानकारी के निवेश:- बहुत से लोग शेयर बाज़ार के बुनियादी नियमों को जाने बिना ही इसमें पैसा लगाते हैं। वे अक्सर किसी के कहने पर या सिर्फ शेयर की कीमत का चार्ट देखकर उसे खरीद लेते हैं, जिसके बाद शेयर के दाम गिरने पर उन्हें भारी नुकसान होता है।
  • ग़लत कारणों से निवेश:
    • कंपनी के बिज़नेस मॉडल और उसकी स्थिति पर रिसर्च न करना।
    • सिर्फ़ शेयर की कीमत देखकर निवेश करना, न कि कंपनी के बिज़नेस को देखकर।
    • सिर्फ़ सस्ते शेयर खरीदने के लालच में पैसा लगाना।
  • टिप्स पर भरोसा: दूसरों से मिली हुई ‘टिप्स’ के आधार पर निवेश करना।
  • धैर्य की कमी: कुछ लोग जल्दबाज़ी में ’10 दिन में पैसा डबल’ करने की सोच रखते हैं। इस तरह की मानसिकता से अक्सर नुकसान होता है।

संक्षेप में, शेयर बाज़ार में सफल होने के लिए सही ज्ञान, रिसर्च और धैर्य रखना बहुत ज़रूरी है।

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सेबी

शेयर बाज़ार को सुचारु रूप से चलाने में स्टॉक एक्सचेंज, ब्रोकर्स, खरीदारों और विक्रेताओं का बड़ा योगदान होता है। लेकिन इन सबके ऊपर एक ऐसी संस्था है जो बाज़ार के हर हाल-चाल पर नज़र रखती है और नियमों का उल्लंघन करने पर सज़ा भी देती है। इस संस्था का नाम है SEBI, जिसका पूरा नाम सिक्योरिटीज़ एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया है।

सेबी शेयर बाज़ार के नियामक (Regulator) के रूप में काम करता है, जिसके नियम सबसे ऊपर होते हैं। कोई भी, चाहे वह कंपनी हो, निवेशक हो, ब्रोकर हो या खुद स्टॉक एक्सचेंज हो, अगर सेबी के नियमों का पालन नहीं करता, तो वह शेयर बाज़ार में काम नहीं कर सकता। सरकार ने इस संस्था का गठन बाज़ार में हो रहे ग़लत कामों को रोकने और निष्पक्ष नियम बनाने के लिए किया है।

स्टॉक एक्सचेंज

भारत के प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज: NSE और BSE

भारत में दो मुख्य स्टॉक एक्सचेंज हैं: बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE)। ये दोनों ही एशिया के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंजों में गिने जाते हैं।

BSE भारत का सबसे पुराना एक्सचेंज है, जहाँ 1875 से ही ब्रोकर्स ने ट्रेडिंग शुरू कर दी थी। जैसे-जैसे यह लोकप्रिय होता गया, भारत में शेयर बाज़ार की नींव पड़ी और लोगों ने कंपनियों के शेयर खरीदना-बेचना शुरू किया।

बाद में, भारत सरकार ने एक सरकारी एक्सचेंज की ज़रूरत महसूस की और NSE की स्थापना की। आज, देश के ज़्यादातर लोग इसी एक्सचेंज पर ट्रेडिंग करते हैं।

इन दोनों एक्सचेंजों पर शेयरों का भाव लगभग एक जैसा ही रहता है, हालांकि मामूली अंतर हो सकता है। आप इन्हें दो अलग-अलग सब्जी मंडियों की तरह समझ सकते हैं, जहाँ एक ही सब्जी का दाम थोड़ा-बहुत अलग हो सकता है।

सेंसेक्स और निफ्टी

सेंसेक्स और निफ्टी शेयर बाज़ार के दो प्रमुख इंडेक्स (सूचकांक) हैं। ये भारत की टॉप कंपनियों के प्रदर्शन को दिखाते हैं।

एक तरह से, ये बाज़ार के इंडिकेटर की तरह काम करते हैं। ये कुछ पॉइंट्स के ज़रिए देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति को दर्शाते हैं। जब ये इंडेक्स ऊपर जाते हैं, तो यह माना जाता है कि बाज़ार और अर्थव्यवस्था अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं, और जब ये नीचे आते हैं, तो यह बाज़ार की कमज़ोरी को दिखाता है।

सेंसेक्स

सेंसेक्स (Sensex) देश की 30 सबसे बड़ी कंपनियों का इंडेक्स है। जब इसकी शुरुआत हुई थी, तब इसकी वैल्यू 100 पॉइंट थी, जो आज बढ़कर 81,000 से ज़्यादा हो चुकी है। यह उन 30 कंपनियों के प्रदर्शन को दिखाता है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

निफ्टी

निफ्टी (Nifty) देश की 50 सबसे बड़ी कंपनियों का इंडेक्स है। यह इन 50 कंपनियों के प्रदर्शन को दिखाता है और भारतीय शेयर बाज़ार की स्थिति का आकलन करने के लिए एक महत्वपूर्ण सूचकांक माना जाता है।

Bull और Bear

बुल (Bull) और बेयर (Bear) का कॉन्सेप्ट शेयर बाज़ार में बहुत पुराना है। यह बाज़ार की स्थिति को बताने वाले दो महत्वपूर्ण शब्द हैं।

बुल (Bull):- जब शेयर बाज़ार ऊपर जा रहा होता है, तो उसे बुल रन (Bull Run) कहते हैं। इसका मतलब है कि बाज़ार में खरीदारी ज़्यादा हो रही है। जो लोग खरीदारी करके बाज़ार को ऊपर ले जाते हैं, उन्हें बुल (Bull) कहा जाता है।

बेयर (Bear):- जब शेयर बाज़ार नीचे गिर रहा होता है, तो उसे बेयर रन (Bear Run) या बेयर मार्केट (Bear Market) कहते हैं। इसका मतलब है कि बाज़ार में बिकवाली ज़्यादा हो रही है। जो लोग बिकवाली करते हैं और बाज़ार को नीचे गिराते हैं, उन्हें बेयर (Bear) कहा जाता है।

उदाहरण के लिए, 2020 में लॉकडाउन के दौरान, बाज़ार लगातार गिर रहा था, जिसे बेयर मार्केट कहा गया। बाद में जब अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ और बाज़ार फिर से ऊपर जाने लगा, तो उसे बुल मार्केट कहा गया।

IPO

आईपीओ (IPO):– कंपनी का शेयर बाज़ार में पहला कदम

जब कोई कंपनी पहली बार शेयर बाज़ार में लिस्ट होती है, तो इस प्रक्रिया को आईपीओ (Initial Public Offer) कहते हैं।

इसे एक उदाहरण से समझते हैं:-

मान लीजिए, एक XYZ कंपनी को अपना कारोबार बढ़ाने के लिए ₹10 लाख की ज़रूरत है। आमतौर पर, वह बैंक से लोन ले सकती है या दोस्तों-रिश्तेदारों से मदद मांग सकती है। लेकिन, अगर ये सभी रास्ते बंद हो जाएं, तो कंपनी के पास एक और विकल्प होता है: शेयर बाज़ार से पैसा जुटाना।

इसके लिए, कंपनी को कुछ ज़रूरी कागजी कार्रवाई पूरी करके अपनी सारी जानकारी स्टॉक एक्सचेंज और SEBI को देनी होती है। जब SEBI से मंज़ूरी मिल जाती है, तो कंपनी अपने शेयर एक तय कीमत पर लोगों को बेचती है। जैसे ही सारे शेयर बिक जाते हैं, पैसा कंपनी के पास आ जाता है और कंपनी शेयर बाज़ार में लिस्ट हो जाती है।

इस तरह, कोई भी कंपनी बाज़ार से ज़रूरी फंड जुटा सकती है। फिर जैसे-जैसे कंपनी मुनाफ़ा कमाती है, उसके शेयर की कीमत भी बढ़ती है, जिससे जिन लोगों ने शेयर खरीदे होते हैं, उनके पैसे भी बढ़ते हैं।

शेयर मार्केट में शेयर बेचने वाले तो हो परन्तु शेयर खरीदने वाले नहीं रहे तब क्या होगा?

जब शेयर बाज़ार में बेचने वाले ज़्यादा और खरीदने वाले कम होते हैं, तो यह स्थिति ज़्यादातर छोटी कंपनियों के साथ होती है जिनकी मार्केट कैप बहुत कम होती है। ऐसी माइक्रो कैप (micro cap) या स्मॉल कैप (small cap) कंपनियों के शेयरों में लिक्विडिटी (liquidity) बहुत कम होती है, और इन्हें इलिक्विड स्टॉक्स (illiquid stocks) कहा जाता है।

इसे एक उदाहरण से समझते हैं:-

जब किसी छोटी कंपनी से जुड़ी कोई अच्छी खबर आती है, तो लोग उसके शेयर खरीदना शुरू कर देते हैं। लेकिन, जब उसी कंपनी में कोई धोखाधड़ी या गड़बड़ी की खबर आती है, तो लोग घबराकर अपने शेयर बेचना शुरू कर देते हैं। कम लिक्विडिटी के कारण, बेचने वालों (sellers) की संख्या बहुत ज़्यादा हो जाती है, जबकि खरीदने वाले (buyers) बहुत कम होते हैं।

इस स्थिति में, शेयर की कीमत बहुत तेज़ी से गिरती है और उसमें लोअर सर्किट (lower circuit) लग जाता है, जो 5% से 20% तक हो सकता है। जब लोअर सर्किट लगता है, तो उस दिन के लिए शेयर की ट्रेडिंग रुक जाती है।

इसके उलट, अगर किसी छोटी कंपनी के शेयर को अचानक सभी लोग खरीदने लगें, तो उसकी कीमत में तेज़ी से बढ़ोतरी होती है और उसमें अपर सर्किट (upper circuit) लग जाता है, जिससे कुछ समय के लिए ट्रेडिंग बंद हो जाती है।

Conclusion (शेयर मार्केट कैसे चलता है?)

संक्षेप में, शेयर बाज़ार एक ऐसा मंच है जहाँ कंपनियाँ अपनी वृद्धि के लिए लोगों से पैसा जुटाती हैं और बदले में उन्हें अपनी हिस्सेदारी देती हैं। 

यह पूरी व्यवस्था SEBI (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) द्वारा नियंत्रित होती है, जो निवेशकों के हितों की रक्षा करता है।

बाज़ार का कामकाज मांग और पूर्ति (Demand and Supply) के सिद्धांत पर आधारित है, और BSE व NSE जैसे स्टॉक एक्सचेंज इसके मुख्य केंद्र हैं। सेंसेक्स और निफ्टी जैसे इंडेक्स बाज़ार के प्रदर्शन को दर्शाते हैं। 

हालांकि, शेयर बाज़ार में निवेश से पहले सही ज्ञान और शोध बहुत ज़रूरी है। बिना जानकारी के या सिर्फ टिप्स पर निवेश करना नुकसानदायक हो सकता है। सफल निवेश के लिए धैर्य, उचित शोध और जोखिम प्रबंधन की समझ होना बहुत महत्वपूर्ण है।

FAQ

शेयर क्या होता है?

शेयर किसी कंपनी में स्वामित्व का एक छोटा सा हिस्सा होता है। जब भी आप किसी कंपनी के जितने शेयर खरीदते है, तब आप उस कंपनी के खरीदे गए शेयर के अनुसार उतना हिस्से के मालिक बन जाते है।

शेयर मार्केट क्या है?

शेयर मार्केट एक ऐसा मार्केट है जहां पर कंपनियों के शेयर (हिस्सेदारी) खरीदे और बेचे जाते है।

कंपनियां शेयर क्यों जारी करती है?

कंपनियाँ अपने व्यवसाय के विस्तार, नए प्रोजेक्ट्स में निवेश, या कर्ज़ चुकाने जैसे विभिन्न उद्देश्यों के लिए पूंजी (पैसा) जुटाने के लिए शेयर जारी करती है।

शेयर की कीमत कैसे निर्धारित होती है?

शेयर की कीमत मुख्य रूप से बाज़ार में उसकी मांग (Demand) और आपूर्ति (Supply) के सिद्धांत पर निर्धारित होती है।

क्या शेयर मार्केट में निवेश करने के लिए वित्तीय ज्ञान जरूरी है?

हाँ, शेयर मार्केट में निवेश करने से पहले बुनियादी वित्तीय ज्ञान और बाजार की समझ होना बहुत जरूरी है। बिना जानकारी के निवेश करने से बड़े नुकसान का जोखिम रहता है।

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